जीण माता धाम
कलयुग में शक्ति का अवतार माता जीण भवानी का भव्य धाम सीकर जीले के रेवासा पहाडियों में स्थित है। ये भव्य धाम चरों तरफ़ से ऊँची ऊँची पहाडियों से घिरा हुआ है। बरसात या सावन के महीने में इन पहाडो की छटा देखाने लायक होती है। राष्ट्रिये राजमार्ग 11 से ये लगभग 10 किलोमीटरकी दुरी पर है। यानी की गौरियाँ (यहाँ से सीधी रोड आती है.) या रानोली (यहाँ से कोछौर देकर आना पड़ता है.) स्टैंड द्वारा यहाँ पहुंचा जा सकता है.जीणमाता के ऊपर पर्वत से लिया गया फोटो |
जीणमाता के में दरवाजे की फोटो |
कहा जाता है की जीणमाता ओर हर्ष दोनों भाई-बहन थे जिनमे आपस में बहुत प्रेम था. राज कुमारी जीण बाई को संदेह मात्र हुआ की उनकेभाई हर्ष नाथ उनसे अधिक उनकी भाभी को प्रेम करने लगे हैं एक समय की बात थी जब भाई हर्ष का विवाह हो गया . एक दिन दोनों ननद ओर भाभी पानी लाने के लिए गई तो दोनों में अनबन हो गई की जीण ने कहा मेरा भाई पहले घड़ा मेरा उतारेगा ओर भाभी ने कहा पहले मेरा इस तरह दोनों ननद भाभी लडती हुई घर पहुंची परन्तु इस बात का पता हर्ष को नही था. इस तरह हर्ष ने पहले घड़ा सिर से अपनी पत्नी का उतारा जिससे बहन नाराज हो गई. वही अनबन दोनों भाई ओर बहन के प्रेम में जहर घोल दिया जिसके कारण बहन अपने भाई हर्ष से नाराज होकर इन पहाडियों की बीच आकर तपस्या करने लगी ओर भाई हर्ष पर्वत पर जाकर तपस्या करने लगा.
एतिहासिक तथ्यों के अनुसार औरंगजेब ने मंदिर ध्वंस करने अपनी सेना भेजी, शिव मंदिर तो ध्वस्त हुआ किन्तु सेना मन्दिर को ध्वस्त नही कर सकी क्योंकि ना जाने कहाँ से भवरों (बड़ी मधुमख्खी) के झुंडों ने सेना पर आक्रमण कर दिया | घवराई हुई सेना भाग खडी हुई | फिर औरंगजेब ने माता से माफ़ी मांगी ओर उसके चरणों में गिर पड़ा. औरंगजेब ने भी सवामन तेल का दीपक अखंड ज्योति के रूप में मंदिर में स्थापित किया जो आज तक प्रज्वलित है | आज भी माता सभी दुखी लोगो के दुःख हरती है ओर उनको सुख देती है. ऐसी थी जीणमाता.
!!!! जय हो जीणमाता की !!!!
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